रमजान के पाक महीने की शुरूआत हो चुकी है और पहले रोजे को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा गया। बाजारों में भी रमजान की रौनक छाई रही। सेंवई, खजूर और फलों की दुकानों पर भीड़ देखने को मिली। बच्चों ने भी रोजा रखकर इस पाक महीने में अपनी भागीदारी दिखाई।
मस्जिदों में नमाजियों की भीड़ :
रमजान के पहले दिन मस्जिदों में भी नमाजियों की काफी भीड़ रही। हर नमाज में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया और अल्लाह की इबादत की। सुबह सेहरी के समय भी मस्जिदों में लोगों की अच्छी खासी मौजूदगी रही।
बाजारोंं में रौनक :
रमजान के महीने में बाजारों में भी खासी रौनक देखने को मिली। सेंवई, खजूर और फलों की दुकानों पर लोगों ने जमकर खरीदारी की। इफ्तार के लिए तरह-तरह के पकवानों की भी खूब बिक्री हुई।
बच्चों ने भी रखा रोजा :
रमजान के इस पाक महीने में बच्चों ने भी रोजा रखकर अपनी आस्था और उत्साह का परिचय दिया। कई बच्चों ने पहली बार रोजा रखा, जिसे लेकर उनमें काफी खुशी और उमंग थी।
रजमान के पहले रोजे का महत्व :
रमजान के पूरे महीने में वैसे तो मुसलमान 29-30 दिनों का रोजा रखते हैं और हर दिन के रोजे का अपना विशेष महत्व होता है। आज रविवार 2 मार्च 2025 को मुसलमानों ने पहला रोजा रखा है। दरअसल पहला रोजा ‘ईमान की पहल’ है। इस दिन सुबह सेहरी के बाद से दिन भर निराहार यानी भूखे-प्यासे रहकर सूर्यास्त के बाद ही इफ्तार करना होता है। लेकिन रोजा में केवल खाने-पीने या सोने को कंट्रोल करना या भूख-प्यास पर संयम रखना ही नहीं, बल्कि रोजा हर किस्म की बुराई पर संयम रखने का नाम है।
यही कारण है कि गरीब से गरीब और अमीर से अमीर व्यक्ति को खुद ही रोजा रखना पड़ता है। व्यक्ति चाहे कितना भी धनी क्यों ना हो, वह धन खर्च करके किसी भी गरीब से रोजा नहीं रख सकता। मुस्लिम नजरिया से रोजा रूह की सफाई है, रोजा ईमान की गहराई है और वैज्ञानिक दृष्टि से भी रोजा को स्वास्थ्य के लिए मुनासिब बताया गया है।
