Jamui : रमजान महीने के अंतिम शुक्रवार को अलविदा जुमा की नमाज अता करने स्थानीय जामा मस्जिद में बड़ी संख्या में लोग जुटे। सभी ने परिवार के सुख-समृद्घि व विश्व शांति की कामना की। अलविदा जुमा के बाद अब ईद की खुशियां पूरे शहर में देखा जा रहा है। स्थानीय जामा मस्जिद के अलावे शहर के महिसौड़ी मस्जिद, मिर्चा मस्जिद, गौसिया मस्जिद, छोटी मस्जिद, नूर मस्जिद, भछियार पठान टोली, नीमा मस्जिद, सतगामा मस्जिद, हांसडीह मस्जिद, बिठलपुर मस्जिद, इस्लाम नगर मस्जिदों में नमाज अता करने लोगों की भीड़ उमड़ी।
रमजान का महीना 02 मार्च से हुआ था आरंभ :
रोजे के धार्मिक श्रद्घा, भावना से छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग पीछे नहीं हैं। रमजान के महीने में अलविदा जुमा की नमाज का विशेष महत्व है। रमजान महीने के अंतिम शुक्रवार के बाद ईद का पर्व मनाया जाता है। अलविदा जुमा का रमजान के महीने में कितना महत्व है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि स्थानीय जामा मस्जिद सहित अन्य मस्जिदों में शुक्रवार को अलविदा जुमा का नमाज अता करने बड़ी संख्या में मुस्लिम जुटे। हाफिज शमीम आलम ने सभी को अलविदा जुमा की नमाज अता कराई। उन्होंने सभी के लिए परिवार की सुख-समृद्घि, समाजिक एकता, सांप्रदायिक एकता व विश्व शांति की कामना की। मौलाना फारूक अशरफी ने सभी को नेक रास्ते पर चलने का आहवान किया। जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ति नईम उद्दीन के अलावा शहर के सभी मस्जिदों में अलविदा जुमा की नमाज अता करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ीं। उम्मीद जताया जा रहा है कि 31 मार्च या फिर 01 अप्रैल के दिन ईद की खुशियां मनाई जाएंगी। इसके लिए तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। हर घर में तरह-तरह के पकवान बनाए जाएंगे तथा सेवईयों की बिक्री भी बढ़ गई है। इसके अलावा बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए नए-नए परिधान खरीदे जा रहे हैं। आने वाली ईद को देखते हुए बच्चों में अभी से उत्साह देखा जा रहा है।
अपने रब से रोकर दुआएं मांगें :
महिसौड़ी मस्जिद में बयान करते हुए हाफिज मुस्लिम ने समाज के युवाओं से कहा कि शबा-ए-कद्र का खास एहतराम करें। चांद रात की शबा-ए-कद्र को इनाम वाली रात भी कहा गया है। इस दिन अपने रब से सिद्दत से दुआ करने वाले को अल्लाह खाली हाथ नहीं रखता है।
इस्लाम में जुमे की नमाज का महत्व :
उलेमा बताते है कि इस्लाम मजहब में जुमे की नमाज का खास महत्व है। हदीस शरीफ में इस बात का जिक्र आता है कि जुमे के दिन ही हजरत आदम अलैहिस्सलम को जन्नत से इस दुनिया में भेजा गया था। उनकी जन्नत की वापसी भी इसी दिन हुई थी। अल्लाह ने उनकी तौबा भी जुमे के दिन कबूल की थी।
